मौसमविज्ञान के माध्यम से जिस प्रकार से प्रकृति का अध्ययन करके प्रकृति संबंधी घटनाओं(वर्षा,बाढ़,आँधी-तूफान आदि) का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है इसी प्रकार से ‘शरीरविज्ञान’ के द्वारा शरीरों में रोग चोट आदि लगने न लगने के विषय में पूर्वानुमान लगाना संभव है! ऐसे ही ‘मनोविज्ञान’ के द्वारा मन संबंधी घटनाओं (भय,चिंता,निराशा आदि) का पूर्वानुमान लगाया जाना चाहिए !
      ‘संबंधविज्ञान’ के माध्यम से इस बात का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि किस व्यक्ति का स्वभाव कैसा है और उसका किस व्यक्ति के साथ कैसा संबंध रहेगा !
      ‘आकृतिविज्ञान’ के द्वारा प्रकृति से लेकर प्राणियों तक सभी की आकृतियों के आधार पर उसके भविष्य के विषय में पूर्वानुमान लगाया जा सकता है !
       ‘समयविज्ञान’ के माध्यम से प्रकृति से लेकर प्राणियों तक का अध्ययन करके इस बात का पूर्वानुमान लगाया  जा सकता है कि प्रकृति में ,प्राणियों में और उनके स्वभावों में किस वर्ष कितने समय के लिए किस विषय से सम्बंधित क्या घटित होगा ? 

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