वैज्ञानिक अनुसंधानों के द्वारा महामारी को समझा ही नहीं जा सका ये सबसे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण है प्राकृतिक विषयों में वैज्ञानिक अनुसंधानों के नाम पर होता आखिर क्या है ?और प्राकृतिक आपदाओं से जूझती जनता को जब अपने वैज्ञानिक अनुसंधानों से प्राप्त अनुभवों की सबसे अधिक आवश्यकता होती है उसी समय हमेंशा ये धोखा दे जाते हैं हैं आखिर क्यों ?
अन्य प्राकृतिक घटनाओं की तरह ही इस बार भी 18-12-2021 को मैंने प्रधानमंत्री जी की मेल पर भेजा था –
“|वर्तमान समय में जो संक्रमितों की संख्या बढ़ती दिख रही है वह महामारी संक्रमितों की न होकर अपितु सामान्य रोगियों की है | यह सामान्य संक्रमण भी 20 जनवरी 2022 से पूरी तरह समाप्त होकर समाज संपूर्ण रूप से महामारी की छाया से मुक्त हो सकेगा |”
ऐसा होगा यह मेरा वैदिकगणितीय अनुसंधान आश्रित अनुभवजन्य विश्वास है |मैं पिछले तीस वर्षों से वैदिक विज्ञान के आधार पर प्रकृति के विषय में अनुसंधान करता आ रहा हूँ जिसके आधार पर मौसम एवं कोरोना महामारी से संबंधित घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाता आ रहा हूँ जो पूर्वानुमान सही निकलते रहे हैं | इसी प्रकार से महामारी की सभी लहरों के आने और जाने की तारीखों के विषय में मैं आगे से आगे मेल के माध्यम से भारत सरकार को सूचित करता आ रहा हूँ |
ऐसे हीअन्य प्राकृतिक घटनाओं के विषय में भी संबंधित मंत्रालय विभागों एवं पत्रकारों को सूचित करता रहा हूँ ये पूर्वानुमान पूरी तरह