वेदों में इस प्रकार की भविष्यवाणियाँ तो नहीं होती हैं किंतु वे वेदवैज्ञानिक विधियाँ अवश्य हैं जिनके द्वारा महामारियों के आने और जाने के विषय में पूर्वानुमान लगा लिया जाता है !मैं पिछले 25 वर्षों से ऐसे ही जीवन और प्रकृति संबंधित विषयों पर पूर्वानुमान लगाने के विषय पर अनुसंधान करता आ रहा हूँ | उसी के आधार पर मैंने प्रधानमंत्री जी के मेल कर कई दिन पहले लिखकर भेज दिया था –
“समयविज्ञान की दृष्टि से कोरोना समाप्ति का समय 13 अप्रैल से प्रारंभ होगा इसके बाद संपूर्ण विश्व इस महामारी से क्रमशः मुक्त होता चला जाएगा !” मैं आज भी अपने उसी वेदवैज्ञानिक विश्वास के आधार पर कह सकता हूँ कि 14 अप्रैल से कोरोना की विदाई क्रमशः प्रारंभ हो जाएगी |
जहाँ तक आधुनिक विज्ञान की बात है पूर्वानुमान लगाना उसके बश की बात ही नहीं है पूर्वानुमानविज्ञान पर उनके पास अभी तक कोई प्रक्रिया ही नहीं है यही कारण है कि पिछले दस वर्षों में जितनी भी प्राकृतिक आपदाएँ घटित हुई हैं उनमें से अधिकाँश प्राकृतिक आपदाओं के विषय में पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सका है |