सुदूर अंतरिक्ष से पृथ्वी की ओर आने वाली वेगवती वायु का घनत्व बहुत अधिक होने के कारण जैसे जैसे ये नीचे पहुँचती है वैसे वैसे इनका वेग बहुत अधिक बढ़ता चला जाता है जिससे ये कुछ सेकेंड में पृथ्वी के वातावरण का भेदन करते हुए पृथ्वी के अंदर कई कई
किलोमीटर की गहराई तक चले जाते हैं !गति अधिक एवं अत्यंत सूक्ष्म होने के कारण इन्हें आम तौर पर देख पाना बहुत कठिन होता है !ये अक्सर समुद्रों नदियों तालाबों झीलों के जल से आकर्षित होकर उन्हीं के माध्यम से पृथ्वी के अंदर प्रवेश कर जाते हैं !जब जहाँ से ये इतने बड़े वेग से पृथ्वी के अंदर प्रवेश करने लगते हैं पृथ्वी के उस भाग में उस समय भूकंप आ जाता है इस तीव्र गति वाली सूक्ष्म वायु के वेग का क्षेत्रफल जितना अधिक होता है पृथ्वी के उतने बड़े क्षेत्रफल पर भूकंप आता है !यदि ये समुद्री भाग में टकराता है तो इसमें सुनामी आती है यदि ये वायु पृथ्वी में टकराकर अंदर प्रवेश की अपेक्षा बाहर फ़ैल जाता है तो भूकंप भी आता है और तूफ़ान भी आता है !यदि ये अपने वायुवेग को केवल वायु मंडल में ही रोककर पचा लेता है तो वायु मंडल आंदोलित करके आँधी तूफ़ान का निर्माण कर देता है !अंतरिक्ष से आते समय इसके मार्ग में बड़े बड़े बादलों के बड़े बड़े झुंड टकरा जाते हैं तो बारिस और तूफान दोनों साथ साथ घटित होते देखे जाते हैं !यदि ये पृथिवी में भी टकरा जाते हैं तो आँधी तूफ़ान के साथ साथ भूकंप भी घटित होते देखा जाता है ! पृथ्वी के अंदर प्रवेश करने से पहले वायु के जिस समूह में गाँठें लग जाती हैं ऐसे घनत्वशील वायु समूह को ‘वातगुल्म’ कहतें हैं जैसे जल जम कर वर्फ बन जाता है उसी प्रकार से वायु जमकर वातगुल्म बन जाता है !पृथ्वी के अंदर प्रवेश नहीं कर पाता है !