जब हम कोई ऐसा काम करना चाह रहे होते हैं जिसमें समय हमारा साथ नहीं दे रहा होता है इसलिए हमारा वो काम या तो बनता नहीं है या फिर बनते बनते बिगड़ जाता है !उसका हमें तनाव होता है !
कई बार हम कोई वस्तु या कोई प्रापर्टी लेना चाह रहे होते हैं समय उसमें हमारा साथ नहीं दे रहा होता है इस बात का हमें तनाव होता है !
कई बार हम किसी लड़की या लड़के को चाहने लगते हैं हम उसे प्रेमी या प्रेमिका अथवा पति या पत्नी बना लेना चाहते हैं किंतु वो ऐसा नहीं चाहता या चाहती है जिसका हमें तनाव रहने लगता है !
कई बार हम अपनी ताकत से धन के बल पर किसी ऐसी लड़की या लड़के से विवाह कर लेते हैं जिसे पति या पत्नी से सेक्स का सुख समय के सहयोग से 90 प्रतिशत निश्चित किया गया होता है !किंतु हमारे जीवन में सेक्स का सुख 60 प्रतिशत ही समय के सहयोग से निश्चित किया गया होता है इस बिषय में ‘समय’ हमारा इतना ही सहयोग दे रहा होता है ! ऐसी परिस्थिति में हमारे जीवन साथी की तुलना में हमें सेक्स सुख 30 प्रतिशत कम मिलना होता है और उसे हमसे 30 प्रतिशत अधिक !इसलिए उस 30 प्रतिशत अधिक को कवर करने के लिए उसे हमारे अलावा किसी दूसरे से संबंध बनाने होते हैं जिसका हमें तनाव होता है !ऐसी परिस्थितियों को संयम और सदाचरण से मन को नियंत्रित किया जा सकता है किंतु इसके विषय में पहले से पता हो तब तो ऐसा किया जा सकता है अन्यथा लोग समय के बहाव में बह जाते हैं !
कुल मिलाकर समय किसी को बना सकता है बिगाड़ सकता है बिल्कुल नष्ट कर सकता है !बिलकुल बचा सकता है !इसलिए समय से टकराना ठीक नहीं है क्योंकि समय के वेग को प्रयास सावधानी और संयम पूर्वक थोड़ा बहुत मोड़ा जा सकता है किंतु रोका नहीं जा सकता है !समय के विरुद्ध चलने से तनाव ही होता है !