फरवरी महीने में वर्षा की संभावना बहुत अधिक नहीं है वायु का प्रवाह बढ़ेगा इसलिए वायुप्रदूषण बढ़ने की संभावना अधिक नहीं है फिर भी जिन क्षेत्रों में वर्षा की मात्रा कम तथा वायु प्रवाह कम रहेगा उन क्षेत्रों में 1 से 4 फरवरी तक तथा 14 से 18 फरवरी तक वायु प्रदूषण विशेष अधिक बढ़ जाने की संभावना है |

तापमान बढ़ने घटने का पूर्वानुमान !

   1 से 8 फरवरी तक तापमान सामान्य बना रहेगा | 9 से 14 फरवरी तक देश के अधिकाँश भागों में तापमान क्रमशः कम होता चला जाएगा !15,16,17 को स्थिर रहेगा !कुछ दक्षिणी पश्चिमी क्षेत्रों में 15 फरवरी से धूप निकलनी प्रारंभ होगी और तापमान बढ़ने लगेगा जो 20 फरवरी तक ऐसा ही बना रहेगा | 23 फरवरी से तापमान कम होना प्रारंभ होगा ये क्रम 26  फरवरी तक बना रहेगा 27 को तेज धूप निकलनी प्रारंभ होगी और तापमान बढ़ना प्रारंभ हो

जाएगा ! विशेष बात यह है कि भारत के अन्य भागों की अपेक्षा देश के दक्षिणी प्रदेशों में तापमान बढ़ने की संभावना अधिक है!इसके अलावा भी देश के जिन भागों में वर्षा कम होगी उनमें भी 10 से 29 फरवरी तक तापमान क्रमशः बढ़ता चला जाएगा |

 आग लगने का पूर्वानुमान !

     10 से 29 फरवरी तक  आग लगने की दुर्घटनाएँ अधिक घटित होंगी | इसका प्रभाव वैसे तो देश के विभिन्न भागों में दिखाई पड़ेगा किंतु दक्षिण पश्चिम भारत इससे विशेष अधिक प्रभावित होगा !17 से 29 फरवरी तक ऐसी घटनाएँ पूर्वी तथा मध्य भारत में भी देखने को मिल सकती हैं |विशेषकर 5 ,13,14,18,26,27 तारीखों में आग से संबंधित किसी भी कार्य में अत्यंत सावधानी वरती जानी चाहिए अन्यथा कभी भी कहीं भी आग लगने से संबंधित दुर्घटनाएँ घटित हो सकती हैं |   

उत्पात संबंधी समय का पूर्वानुमान-

     फरवरी महीने की 2,3,4,5 एवं 15,16,17,18,19 तारीखों में  हिंसक वातावरण बनने का समय होगा!इन तारीखों में ऐसे समय का असर सारे संसार पर पड़ता है !पृथ्वी की गहराई से लेकर आकाश की ऊँचाई तक सब कुछ इस समय के प्रभाव से प्रभावित होता है| इसीलिए इस समय में भूकंप,बज्रपात, आंदोलन, उन्माद , संघर्ष, आतंकवादी घटनाएँ, विमानदुर्घटनाएँ, वाहनों का टकरा जाना,बसों का खाई में गिरजाना,देश की सीमाओं पर संघर्ष गोलीबारी आदि से संबंधित घटनाओं के घटित होने की संभावनाएँ अधिक रहेंगी |

 तनाव बढ़ने का पूर्वानुमान –

    9 फरवरी से मनोबल गिरना प्रारंभ हो जाएगा जो क्रमशः 18 फरवरी तक बढ़ता चला जाएगा |इस समय में अक्सर ऐसे विषयों व्यक्तियों बातों से सामना करना पड़ता है जिनसे तनाव बढ़ने की संभावना बानी रहती है | तनाव देने वाले लोगों से मुलाकात होती है ऐसे लोगों के ही अधिक फोन आते हैं ऐसे लोगों से बातें करने एवं उस प्रकार के मुद्दे उखाड़ने का मन करता है |यहाँ तक कि परिवारों  में भी स्वजनों के साथ ऐसे ही मुद्दे पर बहस छिड़ जाती है जो विषय विवादित होकर तनाव दे जाते हैं |

   ऐसे समय में भी जिन लोगों का अपना समय सामान्य चल रहा है उन्हें तनाव के इस समय का विशेष अधिक अनुभव नहीं होता है किंतु जिनका अपना समय भी ख़राब है उस कारण कोई समस्या पहले से ही तनाव देती चली आ रही है उन लोगों का ऐसे समय में तनाव बहुत आधिक बढ़ जाता है | इसलिए ऐसे समय में अत्यंत सावधानी पूर्वक किसी से बात व्यवहार करना चाहिए एवं जितने ऐसे विषय हों जिनसे तनाव बढ़ सकता हो उन्हें इस समय में नहीं छेड़ना चाहिए |

 

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