मौसम वैज्ञानिकों ने मानी  हार और स्वीकार किया कि मौसम का पूर्वानुमान लगा पाना उनके वश की बात नहीं है | ऐसी परिस्थिति में प्रश्न उठताहै जनता की खून पसीने की कमाई से प्राप्त टैक्स के पैसे सरकार ऐसे लोगों पर खर्च क्यों करती है जिनके वश का कुछ है ही नहीं !उन लोगों ने भूकंपों के विषय में पहले ही स्वीकार कर लिया था कि पूर्वानुमान लगाना उनके वश की बात नहीं है क्योंकि उसमें हाँ और न में सीधा जवाब देना पड़ता हैइसलिए इसमें झूठ चल नहीं पाता है तथा वर्षा आँधी तूफ़ान आदि में झूठ चल जाता है इसलिए अभी तक उस झूठ का सहारा लेकर मौसम संबंधीभविष्यवाणियाँ की जाती रही हैं जिन्हें सुन सुन कर किसान कृषि कार्यों में नुक्सान उठाते और आत्महत्या करते रहे हैं  ऐसे मौसम पूर्वानुमान लगाने केनाम पर मौसम विज्ञान के सञ्चालन में अभी तक जो धन खर्च किया जाता रहा है उसकी पाई पाई और पलपल का हिसाब आखिर कौन देगा !आपस्वयं देखिए see more…https://epaper.livehindustan.com/imageview_484316_46643970_4_1_06-01-2020_8_i_1_sf.html

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