आप इस लेख को अवश्य पढ़ें और जानें राहुलगाँधी और प्रियंकावाड्रा आखिर क्यों कभी नहीं बन सकते हैं प्रधानमंत्री !बड़ी बात यह है कि इसमें उनकी कोई गलती भी नहीं है काँग्रेस उन्हें यदि प्रधानमंत्री बनाना ही चाहती है तो उसे करने होंगे कुछ बड़े बदलाव !अन्यथा संपूर्ण काँग्रेस पार्टी ऐसे ही इस कमजोरी की सजा भोगते भोगते एक दिन समाप्त हो जाएगी !इसलिए इस कमजोरी को दूर करने के लिए हमारे सुझाव स्वीकार किए जाने चाहिए !अब आप स्वयं देखिए कि काँग्रेस की इतनी बुरी पराजय का वास्तविक कारण क्या है ?विस्तार से – –
भगवान राम के नाम का पहला अक्षर चूँकि ‘र’ है इसी र अक्षर के कारण ही श्री राम अपने बल पर कभी राजा नहीं बन सके थे जबकि वे दूसरों को राजा बनाते रहे किंतु खुद … !भाई भरत ने अपना राज्य श्री राम को सौंपा तब वे राजा बन पाए !ऐसी परिस्थिति में ‘र’ अक्षर वाले राहुलगाँधी को अपना राज्य कोई क्यों सौंपेगा इसलिए वे अपने बल पर प्रधानमंत्री कैसे बन सकते हैं!चूँकि विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के नेता राहुल गाँधी हैं वे नहीं तो कौन ?इसलिए रिपीट होगी मोदी सरकार ! इसमें मोदी या भाजपा के लिए बहुत खुश होने जैसा कुछ भी नहीं है विपक्ष की जब तक ऐसी स्थिति रहेगी तब तक चुनावी परिणाम भी ऐसे ही होते रहेंगे !
इसी प्रकार से र अक्षर वाले रावण को उनके भाई कुबेर का दिया हुआ राज्य मिला था !ऐसी परिस्थिति में अपने बल पर चुनाव लड़कर कोई र अक्षर वाला व्यक्ति प्रधानमंत्री बन जाएगा इसकी कल्पना भी नहीं की सकती !इसका मतलब ये भी नहीं कि र अक्षर वाले लोग अयोग्य होते है !ये वस्तुतः योग्य और सम्मानित होते हैं ये किसी दूसरे को पढ़ा सकते हैं अच्छी शिक्षा एवं अच्छी सलाहकारिता के कारण ऐसे लोग अत्यंत सम्मान अर्जित करके राजगुरु या किसी दूसरे को राजा बनाने की क्षमता रखते हैं किंतु ऐसे लोग स्वयं की राजनैतिक प्रतिभा के बल पर स्वयं राजा नहीं बन सकते हैं !जानिए कैसे ?
भाजपा में रामलाल जी सपा में रामगोपाल जी आदि की तरह !
राजनीति में कई बार ऐसे लोग भी बड़े बड़े पदों पर पहुँचते देखे जा सकते हैं किंतु वो तभी पहुँच पाते हैं जब कुछ लोगों का समूह किसी पद के लिए आपस झगड़ रहा हो ऐसी परिस्थिति में कोई रास्ता निकालने के लिए सभी लोग मिलकर र अक्षर वाले किसी सम्मानित व्यक्ति को प्रतीक रूप में तब तक के लिए ऐसे पद पर बैठा देते हैं जब तक कोई समाधान न निकले ! जैसे -उत्तर प्रदेश में रामप्रकाश गुप्ता जी वा राजनाथ सिंह जी !किसी राजनैतिक दल में कई बार कोई दुर्घटना घट जाती है सिंपैथी में र अक्षर वाले लोग भी उच्च पदों तक पहुँच जाते हैं जैसे – श्री राजीव गाँधी जी !
कई बार किसी क्षेत्र में किसी राजनैतिक दल के शीर्ष नेतृत्व के प्रति लोगों का समर्पण इतना अधिक होता है कि मुख्य मंत्री प्रत्याशी का विचार किए बिना केवल उस राजनैतिक दल को वोट देते हैं ऐसे में पार्टी जिसे चाहे उसे मुख्य मंत्री बनावे और जब तक चाहे तब तक रखे ये पार्टी की मर्जी !इसलिए जिम्मेदार पार्टी का नेतृत्व होता है उस व्यक्ति के अपने नाम के पहले अक्षर का असर नहीं पड़ता है !रमन सिंह , रघुबर दास !
कई बार कुछ लोग बहुत सम्मानित समझकर या तथा कुछ लोग केवल खाना पूर्ति के लिए किसी विशेष पद पर बैठाए जाते हैं उनका सूत्रधार कोई और होता है – बाबू राजेंद्रप्रसाद जी,रामनाथ कोविद जी,रावड़ी देवी जी आदि !
कुल मिलाकर र अक्षर से नाम वाले बहुत कम लोग हैं जो प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री जैसे पदों तक अपने बल पर पहुँच पाते हैं !जो पहुँच भी जाते हैं वे किसी दूसरे की कृपा से सहयोग से मजबूरी में या परिस्थिति बस या पार्टी प्रभाव से या किसी सक्षम नेता के रबरस्टैंप बनकर पहुँच पाते हैं !रा अक्षर वाले बड़े से बड़े पदों पर पहुँचे लोगों का यही हाल रहा है !इसके अलावा जो लोग अपने बल पर किसी जुगत से पहुँच भी गए उनमें से भी बहुत कम लोग ही उन पदों पर अपना कार्यकाल पूरा कर पाते हैं !
अब बात राहुल गाँधी की –
र और व अक्षर वाले लोगों में दूसरों को नेता बनाने की अद्भुत क्षमता होती है किंतु खुद वे अपने बलपर अभी नेता नहीं बन पाते हैं !कोई अचानक घटना घटित हो जाए या कोई मज़बूरी आ पड़े तो लोग समय पास करने के लिए ऐसे लोगों को नेता भले स्वीकार कर लें वो भी केवल समय पास करने के लिए इसके बाद सत्ता से हटा दिए जाते हैं ! ‘र’ अक्षर श्री राम का था उन्हें अयोध्या का वो राज्य मिला था जिसे भारत ने अस्वीकार कर दिया था ! रावण को लंका का राज्य दान में मिला था !रघु को परंपरा से मिला था !
राजीव गाँधी जी परिस्थिति वश प्रधान मंत्री बने थे ,रावड़ी देवी को लालू का दिया हुआ राज्य मिला !रमन सिंह के नाम के पहले डॉ.निरंतर लगता है जिससे र अक्षर का अधिक प्रभाव उन पर नहीं पड़ा !वैसे किसी देश का राष्ट्रपति प्रधानमंत्री भी यदि कोई व्यक्ति बन पाया है तो वो दूसरों के त्यागे हुए पद को ले सका है या किसी रणनीति के तहत सक्षम लोग उन्हें उस पद पर बैठा देते हैं अपनी राजनैतिक क्षमता के बल पर वे जिस पद पर न पहुँच पाते !
भारत के जिस भी राज्य में र अक्षर वाला जो भी व्यक्ति मुख्यमंत्री बनाया गया उसे किसी मज़बूरी में किसी ने बनाया जब तक उसका मन आया तब तक उसने रखा और नहीं मन आया तो उसी ने हटा दिया !अपना कार्यकाल पूरा बहुत कम लोग कर पाए !
कुछ उदाहरण देखें आप भी –
ये लोग कैसे कैसे और किसके सहयोग सहानुभूति किस परिस्थिति आदि में उन पदों पर पहुँचे या पहुँचाए गए और कौन कौन कितने कितने दिन अपने अपने पदों पर टिक पाए –
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री
रविशंकर शुक्ल – 1- 11-1956 से 31 -12 -1956 तक कुल
उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री
राम नरेश यादव – 23 -6 -1977 से 27 -2 -2079 तक कुल 1 वर्ष 249 दिन
रामप्रकाश गुप्त-12 -11-1999 से 28 -12 -2000
राजनाथ सिंह -28 -10 -2000 से 8 -3 -2002 तक कुल 1 वर्ष 131 दिन
बिहार के मुख्यमंत्री
राम सुंदर दास – 21 – 4 -1979 से 17 -2-1980 तक कुल 0 वर्ष 303 दि
रावड़ी देवी -9 मार्च 1999 से 2 -3 – 2000 तक कुल 0 वर्ष 359 दिन
रावड़ी देवी – 11 मार्च 2000 से 6 -3 – 2005 तक कुल 0 वर्ष 1821 दिन
इसमें विशेष बात ये है कि रावड़ीदेवी लालूप्रसाद यादव के प्रभाव से मुख्यमंत्री बनीं अपने प्रभाव से नहीं!
झारखंड के मुख्यमंत्री
रघुबर दास -28 -12-2014 से अभी भी (मोदी लहर में बने मुख्यमंत्री हैं )
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री
डॉ.रमन सिंह – 7 -12 -2003 से अभी भी हैं (पार्टी और संगठन के विशेष प्रभाव से मुख्यमंत्री बने तथा नाम के पहले लगे डॉक्टर शब्द का लाभ मिलता रहा है! उनकी अपनी राजनैतिक कुशलता शैक्षणिक योग्यता कार्यनिष्ठा आदि उन्हें राजनीति में सफलता दिलाए हुए है! )
पंजाब के मुख्यमंत्री-
रामकिशन -7 जुलाई, 1964 से 5 जुलाई, 1966 तक
रजिंदर कौर भट्टल- 21 जनवरी, 1996 से 11 फरवरी, 1997
उड़ीसा के मुख्यमंत्री-
राजेंद्र नारायण सिंह देव – 8 मार्च 1 9 67 से 9 जनवरी 1 9 71 तक
केरल के मुख्यमंत्री-
आर. शंकर – सितंबर 1 9 62 से 10 सितंबर 1 9 64
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री
रमेश पोखरियाल निशंक 24 जून 2009 10 सितम्बर 2011
गोवा के मुख्यमंत्री
रविनाइक – 25 जनवरी 1991 से 18 मई 1993 कुल 2 वर्ष, 113
2 -4 -1994 से 8 -4 -1994 तक
कर्णाटक के मुख्यमंत्री-
रामकृष्णहेगड़े -8 -3 – 1985 से 13 -2 -1986 तक कुल 342 दिन, 16 -2 -1986 से 10 अगस्त 1988 तक, 10 अगस्त 1988 से
मणिपुर के मुख्यमंत्री-
रणवीरसिंह -23-2-1990 से 6 -1-1992 तक
राधाविनोदकोईझाम -15 -2 -2001 से 1 -6-2001 तक
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री-
राधिकारंजनगुप्ता -26 -7 -1977 से 4 -11 -1977 तक
इसके अलावा दिल्ली, जम्मूकश्मीर, सिक्किम, तेलंगाना, तमिलनाडु, राजस्थान, नागालैंड, मेघालय, मिजोरम, गुजरात, असम, अरुणाचल, पश्चिम बंगाल, हिमाचल, हरियाणा, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश आदि में र अक्षर का कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री नहीं बना!
ऐसी परिस्थिति में र अक्षर से सम्बंधित नाम वाला कोई भी व्यक्ति प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री जैसे पदों पर पहुँच कर स्वतंत्र रूप से कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा पाएगा और सबको समेटकर चल पाएगा! मुझे इसमें कुछ कठिनाइयाँ अवश्य लगती हैं!
र अक्षर के लोग सुयोग्य होते हैं कुशल रणनीतिकार होते हैं शिक्षा संबंधी बड़े बड़े पदों पर पहुंचते हैं किंतु जोड़ तोड़ राजनीति में दूसरों को विजयी बनवा देते हैं खुद बहुत कम बन पाते हैं !
वैसे तो र अक्षर वाले लोग परदे के पीछे रहकर किसी दूसरे को उच्च पदों तक पहुँचाने की रणनीति बहुत अच्छी बना लेते हैं इन्हें उस क्षेत्र में महारथ हासिल होता है!
र अक्षर का प्रभाव और उदाहरण –
राम जी ने स्वयं राजा न होते हुए भी सुग्रीव और विभीषण को राजा बनाया था!
राष्ट्रीय स्वयं संघ -सत्ता में स्वयं सीधे नहीं आया!
रामलाल जी – कुशल संगठक
राम गोपाल यादव – कुशल रणनीतिकार!
और भी बहुत लोग होंगे !
ऐसी परिस्थिति में राहुल गाँधी का सीधेतौर पर प्रधानमन्त्री बन पाना मुझे कठिन लगता है जिस रणनीति के तहत राहुल गाँधी प्रधान मंत्री बनाए जा सकते हैं काँग्रेस का ध्यान अभी उस ओर गया ही नहीं है !इसलिए यदि वर्तमान परिस्थितियों में ही इसी स्वरूप से कांग्रेस 2019 के चुनावी मैदान में उतर गई तो रणनीति काँग्रेस के पक्ष में जाते नहीं दिखती है !
और यदि काँग्रेस नहीं तो कौन ?
इसके अलावा प्रधानमंत्री पद की दौड़ में अभी तक कोई ऐसा नाम नहीं आ पाया है जो न अक्षर के लिए चुनौती बन सके !इसलिए वर्तमान परिस्थितियाँ ही यदि 2019 में भी रहती हैं तो नरेंद्र मोदी को 2019 में प्रधानमंत्री बनने की मेरी ओर से अग्रिम बधाई !
महागठबंधन बन पाएगा क्या ?बन भी गया तो चलेगा कितने दिन !
सबसे पहले मैंने सभी प्रमुख नेताओं के नाम के पहले अक्षर इकट्ठे किए फिर जो राजनेता जिस नाम के राजनैतिक दल से आते हैं उस दल के मुख्य नेता कौन कौन से हैं उनके नाम के पहले अक्षर कौन कौन हैं जो दो प्रमुख गठबंधन हैं उनके संभावित नेता कौन कौन से हैं उनके नाम के पहले अक्षर उठाए !फिर जो नेता जिस नाम की लोकसभा सीट से चुन कर आते हैं उनके नाम के पहले अक्षर एकत्र किए मैंने इस पर रिसर्च पूर्वक मंथन किया देखा कि अगले प्रधानमंत्री पद की दौड़ में अभी तक जो प्रमुख नाम है उनमें सबसे पहला नाम NDA के प्रमुख नेता नरेंद्र मोदी का है और दूसरा प्रमुख नाम विपक्ष के नेता राहुल गाँधी का है !कुछ और दूर दराज की क्षेत्रीय पार्टी के नेताओं के नाम देखे तो पाया कि विपक्ष के सबसे बड़े नेता राहुल गाँधी के नाम का पहला अक्षर र है !यदि इन्हें UPA का नेता स्वीकार करना हो तो वर्ण विज्ञान की दृष्टि से नेता के रूप में राहुल गाँधी की स्वीकार्यता का प्रतिशत बहुत कम है !ममता, माया, महबूबा शरद (दोनों )अरविंद केजरीवाल अखिलेश अजीतजोगी उमर अब्दुल्ला नीतीश कुमार र अक्षर को अपना नेता नहीं मान पाएँगे !तेजस्वी और दक्षिण भारत के कुछ नेता हैं उन्हें राहुल के नाम में कोई आपत्ति नहीं होगी !दूसरी बात ममता, माया, महबूबाएक साथ शांति पूर्वक नहीं रह सकते ,उधर अरविंद केजरीवाल अखिलेश अजीतजोगी ये एक साथ प्रेम पूर्वक लम्बे समय तक नहीं रह सकते !दोनों शारद की पटरी कितनी देर खा पाएगी !उपेंद्र उमर नहीं रह सकते हैं एक साथ !इन सबमें नितीश कुमार एक ऐसे हैं जो सबको लेकर साथ चल सकते हैं और सत्ता पक्ष को चुनौती देने में सक्षम हैं जनता उनपर भरोसा भी कर सकती है और इन अधिकाँश दलों के नेता उन्हें अपने नेता के रूप में स्वीका भी कर सकते हैं वो सबको साथ लेकर चल भी सकते हैं होगा कठिन किंतु प्रयास पूर्वक साथ साथ चला जा सकता है यदि विपक्ष के सभी दाल नीतीश कुमार के नेतृत्व में मिलजुलकर चुनाव लड़ें तो संभव है कि सत्ता पक्ष के सामने चुनौती देने लायक बन सकें किंतु नीतीश जी तो NDA में हैं वस्तुतः NDA में तभी तक हैं जब तक मध्यस्थता अमितशाह की है अन्यथा नरेंद्र मोदी और नितीश एक साथ लंबे समय तक नहीं चल सकते हैं !याद होगा नरेंद्र मोदी के आगे किए जाने पर ही नितीश राजग छोड़ गए थे तो अब कोई नहीं बात तो है नहीं बाकी जब तक कोई नहीं वे तभी तक NDA में हैं !फिर भी नितीश का अपना दल बहुत छोटा है उनका नेतृत्व स्वीकार करना वर्ण वैज्ञानिक दृष्टि से तो ठीक है किंतु व्यावहारिक दृष्टि से ठीक नहीं होगा !
नरेंद्र मोदी – अगले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही बने रहेंगे यदि विपक्ष अपना नेता नितीशकुमार को बना ले और सभी दल मिलकर बिना किसी किंतु परंतु के नितीश कुमार का समर्थन करें तब तो मोदी के लिए चुनौती तैयार हो भी सकती है इसके अलावा वर्तमान परिस्थितियों में विपक्ष के पास प्रत्यक्ष कोई और दूसरा नाम है ही नहीं जिसके विषय में इस पद के लिए बिचार किया जा सकता हो ! इसलिए मोदी ही अगले प्रधानमन्त्री भी बनेंगे !बाकी डिपेंड करता है कि काँग्रेस या महा गठबंधन का नेता कौन होगा उसके नाम के पहले अक्षर के आधार पर ही हम तो बात कर पाएँगे !
राजनैतिक दृष्टि से देखा जाए तो –
राहुलगाँधी -प्रधानमंत्री बनने के लिए राहुलगाँधी में वर्ण वैज्ञानिक गुण नहीं हैं इसलिए उन्हें किसी और दूसरे को आगे करके प्रधानमन्त्री बनाया जा सकता है किन्तु वो प्रक्रिया घुमावदार होने के कारण उसका पालन कर पाने में कठिनाई होगी !या फिर किसी दूसरे व्यक्ति के नेतृत्व में काँग्रेस चुनाव लड़े उसके बाद राहुल को प्रधानमन्त्री बना दे ये और बात है !
महागठबंधन -विपक्ष में महागठबंधन बन भी जाए तो चलेगा नहीं क्योंकि इनके पास कोई ऐसा नेता अभीतक सामने नहीं आया है जिसका नेतृत्व सबको स्वीकार हो सके !विपक्ष में ऐसा कोई नाम अभी तक तो सामने आया नहीं है और राहुलगाँधी का प्रधानमन्त्री बन पाना यदि असंभव न भी मन जाए तो कठिन जरूर है !
भाजपा – भाजपा के नाम में वर्णाक्षर दोष होने के कारण अपने किसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनाने के लिए ‘राजग’ या कोई अन्य संगठन बनाना ही होगा क्योंकि भाजपा अपने नाम पर किसी को भी प्रधानमंत्री नहीं बना सकती है !आखिर अटल आडवाणी जोशी जी कम योग्यता थी क्या ?
अमितशाह – भाजपा की वागडोर अमितशाह के हाथ में जब तक है तब तक नरेन्द्रमोदी बने रह सकते हैं प्रधानमंत्री !नरेन्द्रमोदी को PM-CM बनाने में अमितशाह की बहुत बड़ी भूमिका है यदि नरेंद्र मोदी से भी ज्यादा कही जाए तो अतिशयोक्ति नहीं मानी जानी चाहिए !
भाजपा का भविष्य – नरेंद्रमोदी और अमितशाह के अलावा दूर दूर तक प्रधानमंत्री बनने या बनाने लायक कोई व्यक्ति अभी तो दूर दूर तक नहीं दिख रहा है जो भाजपा को भविष्य सहारा दे सकने लायक हो !वर्तमान भीड़ किसी दूसरे की पीठ पर बैठकर किसी पद को पा लेने के अलावा अपनी व्यक्तिगत क्षमता विकसित करने की स्थिति में नहीं है !इसलिए संगठन को इस काम में तुरंत लग जाना चाहिए !
दिल्ली भाजपा – अभी तक दिल्ली भाजपा अपना कोई ऐसा व्यक्ति नहीं तैयार कर सकी जिसके नाम का पहला अक्षर ये सिद्ध करता हो कि वो वर्तमान दिल्ली काँग्रेस या ‘आप’ का सामना करने लायक है और वो व्यक्ति मुख्यमंत्री बनने लायक है !मैं दिल्ली के उन केंद्रीय नेताओं को भी सम्मिलित करके ये बात कर रहा हूँ जिन्हें कुछ लोग वरिष्ठता के आधार पर गलती से कभी कभी भावी मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी मानने लगते हैं !
दिल्ली प्रदेश काँग्रेस – इनके पास मुख्यमंत्री बनने वाले इतने ज्यादा प्रत्यासी लोग हैं कि उसी होड़ में जो मुख्यमंत्री बन सकता है उसे पीछे किए हुए हैं उनकी संख्या घटाए और मुख्यमंत्री पद के लिए योग्य प्रत्यासी को आगे लाए बिना काँग्रेस का कोई व्यक्ति दिल्ली का मुख्यमंत्री नहीं बन सकता !अभी तक तो यही स्थिति है !
दिल्ली के मुख्यमंत्री – अरविंद केजरीवाल आगे भी इसीलिए मुख्यमंत्री बने रहेंगे क्योंकि विपक्ष में अभी तक ऐसा कोई नेता सामने नहीं दिखाई पड़ा रहा है जिसके नाम का पहला अक्षर उसे मुख्यमंत्री बनने लायक सिद्ध करता हो !इसलिए केजरीवाल को किसी से कोई चुनौती अभी तक तो नहीं है !
अरविन्द केजरीवाल – ये आम आदमी पार्टी में तभी तक योग्य पदों पर टिके रह सकेंगे जब तक मनीष सिसोदिया चाहेंगे !
प्रशांत किशोर – ये जेडीयू के लिए अच्छे किंतु नितीश कुमार के लिए ठीक नहीं सिद्ध होंगे और न ही अधिक दिन तक इन दोनों की निभ ही पाएगी !प्रशांत की कुशल रणनीतिकारी विवाद के अलावा किसी काम नहीं आ पाएगी !
राजठाकरे-इनका राजनैतिक भविष्य मनसे में नहीं है और महाराष्ट्र में मनसे का कोई भविष्य है ही नहीं ! नरेंद्रमोदी -नितीश – नरेंद्रमोदी सरकार के साथ नितीश तब तक हैं जब तक और कहीं कुछ नहीं दिखाई पड़ा रहा है !बाकी ये बेमेल गठबंधन अमितशाह पर टिका हुआ है !
लालू परिवार – लालू के दोनों बेटे रह ही नहीं सकते हैं एक साथ इसलिए आरोप और सफाई की राजनीति बंद हों कोई ठोस प्रयास प्रारम्भ करें अभिभावक !
उत्तर प्रदेश – दिनेशशर्मा जी का भविष्य भी उप्र में निर्विवाद राजनीति के लिए अच्छा है !
नाम के पहले अक्षर का इतना बड़ा प्रभाव !आप स्वयं देखिए –
इसके कारण बड़े बड़े परिवार उजाड़ गए घर बार बिगड़ गए उद्योग धंधे चौपट हो गए !कम्पनियाँ संस्थाएं सरकारें बन बिगड़ देश टूट गए !भारत का नाम जब हिन्दोस्तान रखा गया तभी से इस देश के टुकड़े टुकड़े हो गए उसके बाद ही इस देश में विदेशी आक्रमणकारी हावी हो पाए !हिंदुस्तान नाम रखने से देश का इतना बड़ा नुक्सान हुआ है कि उसकी क्षतिपूर्ति नहीं की जा सकती है !सनातन धर्मियों को जब से हिंदू कहा जाने लगा तब वो किसी लायक नहीं रह गए !संस्कृत की पुत्री को जब से हिंदी कहा जाने लगा तब से इस भाषा का इतना अधिक अपमान हुआ है कि भारत वर्ष में हिंदी बोल और समझ लेने वाले लोग भी आपस में हिंदी न बोलकर अँग्रेजी बोलने लगे !दुर्भाग्य ही है ये कि अपनी भाषा को अपनों ने अपमानित किया है !इस भाषा का प्रत्येक अक्षर बहुत बड़े विज्ञान को समेटे हुए है जो संस्कृत के अतिरिक्त अन्य भाषाओँ में सुलभ नहीं है !
इसी प्रकार से –
किस नाम की पार्टी में किस नाम वाला व्यक्ति नेता बनने जाएगा तो वो कितना सफल होगा !
किस लोकसभा या विधानसभा सीट पर कौन सी पार्टी किस नाम के व्यक्ति को अपना प्रत्याशी बनाएगी तो कैसा रहेगा !
किस राजनैतिक दल के साथ कौन सा राजनैतिक दल गठबंधन करेगा तो परिणाम क्या होंगे !
किस नाम का नेता किस नाम की पार्टी का नेतृत्व करे तो परिणाम कैसे होंगे ?
किस नाम का व्यक्ति किस नाम के देश के किस नाम के प्रतिनिधियों से बात करे तो परिणाम कैसे निकालेंगे ?
किस नाम की लड़की से किस नाम के लड़के का विवाह या मित्रता हो तो परिणाम कैसे निकलेंगे ?
किस नाम के मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री के कार्यालय में किस नाम का अफसर किस प्रकार के परिणाम देगा ?
किस मंत्रिमंडल में किस नाम का व्यक्ति किस नाम के व्यक्तियों से कैसा वर्ताव करेगा ?
किस नाम के अफसर के साथ किस नाम का जूनियर कर्मचारी काम करे तो कैसा रहेगा ?
आदि और भी बहुत सारे विषयों पर वर्ण विज्ञान देता है अपनी स्पष्ट और प्रभावी राय !
अक्षर भी प्रकाश पुंज होते हैं अक्षरों से भी सूर्य की तरह ही अदृश्य प्रकाश किरणें निकल रही होती हैं जो सामने पड़ने वाले प्रत्येक व्यक्ति आदि को प्रभावित किया करती हैं !अक्षर किरणों का प्रभाव इतनी दूर तक जाता है कि कई बार किसी बहुत दूर बैठे बिलकुल अपरिचत व्यक्ति के विषय में चर्चा सुनकर उससे मिलने का मन करता है इसी प्रकार से कुछ व्यक्तियों के विषय में सुनकर अनायास ही हम उनकी निंदा आलोचना करने लगते हैं !ऐसी दोनों ही परिस्थितियों में उनके नामों के पहले अक्षर की किरणें उस व्यक्ति से मिलने न मिलने का निर्णय ले रही होती हैं!
कई बार देखा जाता है कि बाजार मेला स्टेशन या ट्रेन पर हम तमाम अपरिचितों के बीच बैठे होते हैं !उस भीड़ के तमाम लोगों में से कुछ लोग हमें अच्छे लगने लगते हैं कुछ लोगों को हम अच्छे लगने लगते हैं और दोनों लोग आपस में इतने अधिक एक दूसरे से घुल मिल जाते हैं कि एक दूसरे के मित्र बन जाते हैं !बाकी और दूसरे आस पास बैठे लोगों से हमारी बात भी नहीं हो पाती है कुछ लोगों से तो अकारण घृणा भी होने लगती है !ये सब नाम के पहले अक्षर की एक दूसरे पर पड़ने वाली किरणों का ही प्रभाव होता है !
इसी प्रकार से अपने नाम के पहले अक्षर के अनुशार कुछ लोगों का कुछ शहरों ,संगठनों,संस्थानों या कुछ राजनैतिक दलों के साथ नाम दोष हो जाता है !ऐसे लोग अनायास ही उनसे घृणा करने लगते हैं इसी दोष के कारण कई बार दिल्ली का आदमी कलकत्ते में और कलकत्ते का आदमी दिल्ली में जूस बेच रहा होता है दोनों का अपने अपने शहरों के साथ नाम दोष है क्योंकि जूस तो दोनों शहरों में बिकता है !राजनैतिक दल बदल में भी यही होता है !
कुछ लोगों के साथ ऐसा होता है कि वे यदि कुछ नाम वाले लोगों के साथ जितनी देर रहते हैं उन्हें तनाव होता रहता है ऐसे लोग यदि अपने घर में ही रहते हैं या उन्हीं से न चाहते हुए यदि किसी स्वार्थबश प्रेम मित्रता या विवाह हो जाए तो ऐसे लोगों के साथ लगातार तनाव में रहते रहते उन्हें शुगर वीपी आदि सब कुछ हो जाता है !ऐसे तनाव ग्रस्त स्त्रीपुरुष विवाह के अलावा अन्य पुरुष स्त्रियों के संपर्क में आ जाते हैं क्योंकि उन्हें वहाँ वो सुख मिल रहा होता है जो जिसके साथ विवाह हुआ उससे उन्हें नहीं मिल पाया !ऐसे लोग अपनी समस्याएँ जिससे बताने जाते हैं उन्हीं मनोचिकित्सकों पंडितों पुजारियों बाबाओं कथाबाचकों आदि को अपना बना लेते हैं !उन मजनुओं को लगता है कि वो सुन्दर हैं इसलिए वे बाबा वे कथाबाचक सजाने सँवरने लगते हैं ऐसे जिगोलो धर्म के नाम पर अपने चेले चेलियों के घर बर्बाद करते घूम रहे होते हैं !जिसके साथ नाम दोष होता है वो किसी स्वार्थ में जुड़ तो जाते हैं किंतु नाम दोष के कारण बाद में ऐसे बाबाओं से घृणा करने लगते और उन्हें जेलों में डलवा देते हैं !ये सम नामाक्षरों के कारण घटित होता है !
कुछ लोगों पर कुछ राजनैतिक दल कुछ सरकारें कुछ संगठन आदि भारी होते हैं उनमें सम्मिलित होकर उनका अच्छा खासा व्यक्तित्व समाप्त हो जाता है !इसी प्रकार से कुछ लोग अपने नाम के अनुशार कुछ दलों कुछ सरकारों संगठनों कुछ संस्थानों पर भारी होते हैं वो उनसे जुड़कर उन्हें बर्बाद कर देते हैं !
कुछ राजनैतिक दल किसी ऐसे नाम के व्यक्ति को अपना नेता मान लेते हैं जो उस पार्टी की छवि को ख़राब कर रहा होता है और अपना समय जीवन आदि भी बर्बाद कर रहा होता है जिसमें उसकी कोई गलती भी नहीं होती है किंतु ऐसे नाम दोषी लोग देश के पुराने से पुराने दलों की साख समाप्त कर देते देखे जाते हैं !
कुछ सरकारों में प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री जैसे पदों पर बैठे लोगों के साथ उस कार्यालय के कुछ बड़े अफसरों का नाम दोष होता है इसलिए वो अफसर ऐसा कोई अच्छा काम करेंगे ही नहीं जिसका यश उस मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री की मिल जाए !
कुछ आफिसों में अफसरों के जूनियर कर्मचारी इसी भावना से भावित होते हैं उन पर यदि ठीक से निगरानी नहीं की गई तो वे अच्छे खासे कर्मठ ईमानदार अपने अफसर को भी अपने कर्मों से घूसखोर भ्रष्ट आदि सिद्ध कर दते हैं !
कुछ अफसरों या उद्योगपतियों के अपने कार्यालयों या घरों में चाय पानी भोजन आदि देने कुछ नौकर होते हैं उनके साथ यदि नाम दोष हुआ तो वो उनको जूठा या गंदा खिला पिलाकर अपना बैर निकालते देखे जाते हैं !
किसी कोर्ट में फैसला सुनाते समय जज लोगों के नाम का पहला अक्षर और उन वादी विवादियों के नाम का पहला अक्षर उस फैसले को प्रभावित कर देता है !
किस नाम का वकील किस नाम के व्यक्ति का केस लड़ रहा है उन दोनों के नाम का पहला अक्षर ये सिद्ध कर देता है कि यह वकील उसके लिए कैसा रहेगा !कई बार वकील जिसका होता है उसके विरोधी के नाम का पहला अक्षर यदि उसके मित्रवर्ग में आता है तो वकील अपने क्लाइंट का साथ छोड़कर उसका साथ देने लगता है !ऐसा ही चिकित्सक एवं रोगी के बीच भी होते देखा जाता है !कई बार बड़े बड़े चिकित्सक भी छोटे छोटे रोगियों पर भी अपनी चिकित्सा का असर न डाल पाने के कारण अपयश का भाजन बनते देखे जाते हैं!और उनकी योग्यता उन रोगियों के लिए शून्य सिद्ध होती है !
राजनीति के लिए जो लोग जिस दल में जाते हैं उस नाम का पहला अक्षर एवं उस दल के प्रमुख नेता के नाम का पहला अक्षर उनके नामों के पहले अक्षर के साथ जिस प्रकार का अपना सम्बन्ध होता है वैसा लाभ या हानि होती है !
कोई नेता जिस नाम की पार्टी से जिस नाम की लोकसभा या विधान सभा की सीट से चुनाव लड़ रहा होता है दूसरी पार्टी के जिन प्रत्याशियों के सामने चुनाव लड़ना होता है उनके नाम के पहले अक्षर उसे उस सीट के लिए योग्य या अयोग्य उम्मीदवार सिद्ध करते हैं !
नाम के पहले अक्षर के कारण ही तो बहुत लोग संगठन संस्थान पार्टियाँ सरकारें परिवार वैवाहिक जीवन आदि बर्बाद हो गए !राजनैतिक पार्टियों में होने वाले गठबंधन बिगड़ गए !कुछ नेताओं को कुछ राजनैतिक पहले नहीं इस कारण उनका जीवन बर्बाद हो गया !चुनावों में किस नाम के संसदीय दल में किस नाम के प्रत्याशी के सामने किस नाम के प्रत्यासी को चुनाव लड़ाया जाए तो जीत मिलेगी ये नाम के अनुशार होता है किस नाम के नेता के नेतृत्व में किस नेता को चुनाव लड़ाया जाए तो पार्टी जीतेगी ये नाम के अक्षर के अनुशार होता है !किस नाम का नेता किस पार्टी पर भारी है ये उन दोनों के नाम के पहले अक्षर के आधार पर होता है !
जिस किसी परिवार संस्थान संगठन पार्टी सरकार आदि में अ अक्षर वाली ये स्थिति है वहाँ यही हो रहा है जब अ अक्षर के नाम वाले व्यक्ति के सामने किसी दूसरे अक्षर वाला व्यक्ति आ जाए तो किस अक्षर वाले के आ जाने से क्या परिस्थिति बनती है ये हर अक्षर के साथ अलग अलग है !इसके बाद किसी दूसरे अक्षर के सामने कोई दूसरा अक्षर आवे तो परिणाम उस तरह का होता है !
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नाम विज्ञान या वर्ण विज्ञान का लाभ कैसे लिया जाए ?
कुछ लोगों को अक्षर विज्ञान देखकर राशि या राशिफल जैसा भ्रम हो सकता है किंतु इस अक्षर विज्ञान की ऐसे किसी भी विषय से कोई तुलना नहीं है ये तो बहुत बड़ा वैदिक रिसर्च है ! इससे सभी प्रकार के टूटे हुए संबंधों को पुनर्जीवन दिया जा सकता है आप यदि किसी रूठे संबंधी को मनाना चाहतें हैं या बिगड़े संबंध को बनाना चाहते हैं आपके परिवार व्यापार विभाग कार्यालय संगठन संस्था सरकार राजनैतिक दल में आपके सहयोगियों के साथ आपके संबंध कैसे रहेंगे या उनके साथ संबंध अच्छे रखने के लिए आपको उनके साथ कैसा वर्ताव करना होगा किस नाम के राजनैतिक दल के किस राष्ट्रीय नेता के साथ मधुर संबंध बनाए रखने के लिए किसे क्या क्या सावधानियाँ बरतनी होंगी !ऐसी सभी बातें जानने के लिए हमारे यहाँ संपर्क कर सकते हैं !