विवाह करने से ज्यादा कठिन है उसे निभाना !इसकेलिए अवश्यपढ़ना चाहिए ‘विवाहविज्ञान’ !
जिस लड़की या लड़के के साथ जो विवाह किया जा रहा है वो चलेगा कितने दिन !प्रेम प्रसन्नता उत्साह पूर्वक उन दोनों के द्वारा कितने समय तक निभाया जा सकेगा !इसका पूर्वानुमान भी तो लगाया जाना चाहिए !
सरकार ने तो मौसमसंबंधी पूर्वानुमान करने के लिए एक मंत्रालय बना रखा है वैवाहिकजीवन संबंधी पूर्वानुमान के लिए कुछ नहीं !आखिर क्यों ?वैवाहिक जीवन की इतनी उपेक्षा क्यों ?क्या ये जरूरी नहीं होना चाहिए !आखिर जीवन बचेगा तो मौसम की आवश्यकता होगी यदि जीवन ही नहीं बचेगा तो मौसम पूर्वानुमान लगाने से भी उसका क्या लाभ !सरकार कितना भी विकास कर ले!विज्ञान कितनी भी तरक्की कर ले जीवन बचेगा तभी उसका सदुपयोग होगा !जीवन ही नहीं बचेगा तो क्या कर लेगा विकास और विज्ञान !
आज विवाह संबंधी संकटों से समाज जूझ रहा है बड़े बड़े पढ़े लिखे अच्छे अच्छे ऊँचे ऊँचे पदों पर बैठे अत्यंत समझदार लोग भी विवाह संकट से जूझते देखे जा रहे हैं !तलाक लेने वालों की अदालतों में लाइनें लगी हैं !विवाह संकट से परेशान लोग हत्या आत्महत्या आदि और क्या क्या नहीं करते देखे जा रहे हैं !
जिसके साथ इतने उत्साह पूर्वक धूमधाम से विवाह किया जाता है उसी की हत्या कितने निर्ममता पूर्वक करने की हृदयहिला देने वाली कितनी दुर्घटनाएँ घटित होते देखी जा रही हैं !ऐसे विवाह संकट से जूझते लोगों प्रेम पूर्वक साथ साथ रखने के लिए सरकार क्या कर रही है इसके लिए तलाक कर लेने के अलावा और कौन सा कानूनी विकल्प है ! विवाह संकट का समाधान तलाक से भी तो नहीं होता है पीड़ित पक्ष के लिए अलग होना आसान नहीं होता है और यदि हो भी जाए तो दूसरी जगह विवाह कर लेने पर उसे ऐसे संकटों से नहीं जूझना पड़ेगा इसकी क्या गारंटी ! वहाँ भी न पटरी खाए तो वहाँ से भी तलाक !ऐसे ही विवाह करते और तलाक लेते तनाव पूर्ण जीवन गुजार देने से अच्छा है ऐसी वैवाहिक परिस्थितियों का भी कोई तो समाधान खोजा जाए ! इतना विकसित विजान है जो आकाश से पाताल तक हर जगह हाथ पैर मार लेने के घमंड से चूर चूर हो रहा है !क्या ये आवश्यक नहीं है कि जीवन से संबंधित संकटों का भी पूर्वानुमान लगाया जाए और उनका भी समाधान खोजा जाए !यदि विज्ञान सक्षम है तो ये चुनौती स्वीकार करे अन्यथा मना करे कि किसी भी विषय में पूर्वानुमान लगाना उसके बश का नहीं है !इसके लिए सरकार और समाज कोई दूसरी व्यवस्था सोचे !
इस विषय में मैरिज काउंसलर नाम के लोग समाज की कोई मदद नहीं कर पा रहे हैं !वैवाहिक जीवन में संकट भोग रहे लोग बड़ी आशा से मैरिज काउंसलरों के पास जाते हैं किंतु वहाँ से निराश होकर ही लौटते हैं क्योंकि विवाह को व्यवस्थित करने के लिए उनके पास भी कुछ वही घिसी पिटी बातें होतीं हैं जो आम समाज में चल रही हैं !इसके अलावा उनके पास इस विषय में कोई अतिरिक्त ज्ञान विज्ञान तो होता नहीं है !वो तो कुछ लोगों के अनुभव की कहानियाँ कुछ लोगों को सुनाया करते हैं उसी के आधार पर ये बताया करते हैं ऐसे रहो वैसे रहो ये करो वो न करो किंतु पीडिंत लोगों पर उनकी ऐसी किस्से कहानियों का कोई असर होता नहीं है !चूँकि समस्याएँ सबकी अलग अलग होती हैं इसलिए समाधान भी तो उसी प्रकार के खोजे जाने चाहिए !
इसी प्रकार से वैवाहिक संकटों से हैरान लोग बाबाओं पुजारियों तांत्रिकों मुल्लों मौलवियों के पास धक्के खाया करते हैं !ज्ञान विज्ञान से खोखले ऐसे लोग भी इस विषय में पीड़ित लोगों की कोई मदद नहीं कर पाते हैं अपितु कुछ बहम डालकर उपायों के नाम पर कुछ पैसे ऐंठ लेते हैं किंतु विवाह संकट से पीड़ित लोगों को मदद वहाँ से भी नहीं मिल पाती है !
ऐसी परिस्थिति में सरकार से लेकर समाज तक सभी का ये दायित्व है कि किसी के जीवन में भविष्य में घटित होने वाली विवाह संबंधी समस्याओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए एवं वैसी समस्याएँ घटित होने से पूर्व उनसे बचाव के लिए कोई उचित वैज्ञानिक मार्ग विकसित किया जाए जो सभी को रास्ता दिखाने एवं उनकी समस्याओं का समाधान खोजने में सक्षम हो सके !ऐसा कोई पारदर्शी वैज्ञानिक सिद्धांत जाने की आवश्यकता है !