तनावविज्ञान
इससे संबंधित पूर्वानुमान लगाने के लिए ‘समयविज्ञान’ एवं ‘लक्षणविज्ञान’ का अध्ययन करना होता है !कुछ वर्ष महीना दिन आदि ऐसे आते हैं जिसमें बिना किसी विशेष कारण के भी लोग तनाव चिंता उन्माद निराशा भय आदि भावना का अनुभव करने लगते हैं इसे प्रकट करने के लिए कोई न कोई कारण खोज लेते हैं और उसे मुद्दा बनाकर उबल पड़ते हैं !कई बार ये उबाल हिंसक हो जाता है और कई बार अहिंसक ही बना रहता है !ऐसा कब होगा इसके लिए समय विज्ञान का अध्ययन आवश्यक है तथा ऐसा कहाँ होगा इसके लिए वहाँ की प्रकृति एवं प्राकृतिक लक्षणों आकृतियों आकारों का अध्ययन आवश्यक होता है !
विशेष – किसी एक समय में एक स्थान पर ऐसी परिस्थिति घटित होने पर भी सभी को एक जैसा तनाव उन्माद निराशा भय आदि नहीं होता है!किसी को अधिक होता है किसी को कम होता है और किसी को बिल्कुल नहीं होता है !इसका कारण उन सभी का अपना अपना समय होता है !इसके अलावा उस तनाव अवसाद आदि को कुछ सह पाते हैं कुछ नहीं सह पाते हैं और अचानक कोई अप्रिय घटना घटित हो जाती है !इसका कारण भी उन सबका अपना अपना समय होता है !
इसी विषय में विशेष आवश्यक बात –
सामूहिक रूप से किसी क्षेत्र में या व्यक्तिगत जीवन में कब ऐसी तनाव उन्माद निराशा भय आदि से युक्त परिस्थिति बनेगी कब उन्माद अंकुरित होगा !इसका पूर्वानुमान लगाया जा सकता है !
संबंधों के बनने बिगड़ने का तनाव –
किन्हीं दो या दो से अधिक लोगों में आपसी संबंध बनने या बिगड़ने के चार प्रमुख कारण होते हैं एक तो ऐसे लोगों का अपना व्यक्तिगत अच्छा या बुरा समय होता है तो दूसरा उन दो या दो से अधिक लोगों का अपने अपने नाम का पहला अक्षर !तीसरा उनका अपना अपना तत्कालीन भाग्य !चौथा उनका अपना अपना स्वार्थ !
सर्व प्रथम समय तो परिवर्तनशील है इसलिए सबका समय बदलता रहता है समय के साथ साथ स्वभाव सोच स्वाद रुचि परिस्थितियाँ आदि बदलती रहती हैं ! जब जिसका जैसा समय होता है तब उसकी वैसी परिस्थिति और मनस्थिति बन जाती है उतने समय के लिए उसकी वैसी ही पसंद बन जाती है इसलिए उसी प्रकार के लोगों को लोग खोजने और उन्हीं से जुड़ने लगते हैं !उसके अलावा दूसरे प्रकार के लोगों को नापसंद करने लगने के कारण उनसे किनारा करने लगते हैं !इसलिए कई बार लोग अत्यंत घनिष्ठ संबंध भी छोड़ते देखे जाते हैं !
दूसरा कारण है नाम का पहला अक्षर !लोगों का स्वभाव उनके नाम के पहले अक्षर के अनुसार बनता है !जब किन्हीं दो या दो से अधिक लोगों के नाम के पहले अक्षर एक दूसरे के मित्र स्वभाव के होते हैं तो उनके साथ आपसी संबंध मधुरता पूर्वक चलते रहते हैं !जिन लोगों के नाम के पहले अक्षर एक दूसरे के शत्रु स्वभाव वाले होते हैं उनके आपसी संबंध निभ पाना अत्यंत कठिन होता है !
तीसरा कारण उन सबका अपना अपना तत्कालीन भाग्य होता है !कोई व्यक्ति प्रयास कितना भी क्यों न कर ले किंतु उसमें सफल और असफल अपने अपने भाग्य से होता है !जो व्यक्ति भाग्यवश अपनी सफलता के शिखर पर पहुँच चुका होता है छू रहा होता है और दूसरा व्यक्ति यदि लगातार असफल होता जा रहा है ऐसी परिस्थिति में उन सफल और असफल लोगों में आपसी मित्रता कैसे हो सकती है और यदि हो भी जाए तो निभेगी कितने दिन ?
सबका अपना अपना स्वार्थहोता है जिसे जब तक जिससे जो काम निकालना होता है तब तक वो उस की हर बात मानता है और काम निकलते ही वो एक दूसरे से अलग अलग हो जाते हैं !