भाग्य के सहयोग के बिना कर्म का फल नहीं मिलता !

    डॉक्टर किसी रोगी की चिकित्सा कर सकता है किंतु रोगी के स्वस्थ होना या न होना उसके अपने भाग्य के आधीन होता है !शिक्षक पढ़ा सकता है किंतु किसी का विद्वान् बनना या न बनना उसके अपने भाग्य के आधीन है !किसी का विवाह किया जा सकता है किंतु उसे वैवाहिक सुख मिलना या न मिलना उसके अपने भाग्य के आधीन है | धन है तो धन के द्वारा अच्छा मकान तो मिल सकता है किंतु मकान का सुख मिलेगा या नहीं ये उसका अपना भाग्य ही निश्चित करता है |

      ‘भाग्य’ और ‘कर्म’ में क्या अंतर है ? कोई कार या गाड़ी तभी दौड़ सकती है या फिर दौड़ाई जा सकती है जब उसके लिए रास्ता या रोड हो | रास्ता ही न हो तो कार स्टार्ट करके एक जगह कड़ी भले कर दी जाए किंतु कहीं लेकर नहीं जाया जा सकता है | उसी प्रकार से भाग्य और कर्म का संबंध है | भाग्य ही रोड और कार ही कर्म है भाग्य होगा तभी कर्म का परिणाम मिलेगा अन्यथा नहीं | भाग्य विहीन लोग कर्म करके अपने को व्यस्त तो रख सकते हैं किंतु उससे कोई फल नहीं मिलता है | इसीलिए कुछ लोग बहुत परिश्रम करते हैं फिर भी सफल नहीं होते हैं कुछ लोग बहुत कम परिश्रम करके भी बहुत अधिक सफल हो जाते हैं | सबका अपना

(more…)

Loading

परिवार विज्ञान