समय विज्ञान और पूर्वानुमान

     संसार में समय के साथ साथ प्रकृति में जीवन में सभी प्रकार के बदलाव होते हैं और समय सूर्य के साथ बीतता है इसलिए संसार में घटित होने वाले प्रत्येक परिवर्तन को सौर विज्ञान से समझा जा सकता है !
     वर्तमान समय में केवल मौसम ही नहीं अपितु जीवन के प्रत्येक क्षेत्र से संबंधित पूर्वानुमान अपने को पता होने चाहिए ताकि उससे संबंधित सावधानियाँ वरती जा सकें !सरकारी स्तर पर पूर्वानुमानों के नाम पर हमें केवल मौसम संबंधी पूर्वानुमान ही बताया जाता है वो भी सही होगा या नहीं इसकी  किसी की कोई जिम्मेदारी नहीं होती !इसीलिए वो अक्सर गलत ही होता है !जिससे कृषि आदि क्षेत्रों में किसानों को काफी नुक्सान उठाना पड़ता है !इसीलिए किसान आत्महत्या करने को विवश होते हैं !इस बार महाराष्ट्र के कुछ किसानों ने मौसम विभाग से तंग होकर FIR भी करवाई है !ऐसी ही बातों व्यवहारों से पीड़ित होकर मैंने वैदिक विज्ञान के आधार पर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र से संबंधित पूर्वानुमान उपलब्ध करवाने का प्रयास कर रहा हूँ जो काफी हद तक सही भी होते हैं !
   हमारे यहाँ ‘सौरविज्ञान’ के आधार पर प्रकृति ,समाज एवं जीवन से जुड़े अनेकों विषयों पर पूर्वानुमान लगाने  के लिए अनुसंधान किया जाता है !यह अनुसंधान कार्य पिछले तीस वर्षों से चलाया जा रहा है !इससे काफी सही परिणाम देखने को मिलते हैं !
       इसकी सबसे बड़ी विशेषता ये है कि वर्षा बाढ़ आँधी तूफान आदि प्राकृतिक विषयों से लेकर मानव जीवन समाज आदि से संबंधित कोई विशेष घटना घटित होने से काफी पहले उसके विषय में पूर्वानुमान लगाया जा सकता है दूसरी बात ये कम खर्चीला तथा मौसम विभाग आदि के द्वारा लगाए जाने वाले पूर्वानुमानों की अपेक्षा अधिक सटीक होता है !
      सरकार के विभिन्न मंत्रालयों ,मंत्रियों के यहाँ वर्षों से चक्कर लगाने के बाद भी पूर्वानुमान की इस सौर विज्ञान विधा को कोई स्वीकृति नहीं मिल पाई है !मौसमविभाग के वरिष्ट अधिकारियों के संपर्क में हूँ किंतु पूर्वानुमान संबंधी आविष्कार के क्षेत्र में यह विषय नया है और वैदिक है इसलिए उन्हें भी इसकी सच्चाई स्वीकार करने में संकोच हो रहा है ! हमारे यहाँ से प्रकशित पूर्वानुमान कुछ इस प्रकार के होते हैं –  13 सितंबर 2018 से 25 सितंबर2018 के बीच घटित होने वाली संभावित घटनाओं का पूर्वानुमान !
सौरविज्ञान के आधार पर –
                                  

   13 सितंबर 2018 से 25 सितंबर2018 के बीच घटित होने वाली संभावित घटनाओं का पूर्वानुमान ! 

 1. वर्षाबाढ़ -13 सितंबर से 17 सितंबर तक राजस्थान मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश उत्तराखंड आदि क्षेत्रों में से कुछ प्रांतों में अधिक वर्षा होगी !इसके बाद 19,20,22,23,24 में उत्तर क्षेत्र में भी अधिक वर्षा होगी !

 2. आँधीतूफान -13 सितंबर से 17 सितंबर तक पश्चिम बंगाल बिहार झारखंड के अलावा पूर्वोत्तर भारत के असम आदि समस्त प्रदेश तथा जम्मूकश्मीर मेरठ हरियाणा दिल्ली आदि के क्षेत्र आँधी तूफान आदि की घटनाओं से पीड़ित होंगे !

 3.वायुप्रदूषण – 13 सितंबर से 20 सितंबर तक जम्मूकश्मीर ,हरयाणा, दिल्ली,पश्चिमी उत्तरप्रदेश,पूर्वी बिहार झारखंड,पश्चिमी बंगाल , पूर्वोत्तर भारत एवं बंगलादेश का आसमान आकाशीय धूल ,धुंध ,धुएँ आदि से आच्छादित होने के कारण वायुमंडल प्रदूषित होगा !जिससे सूर्य किरणें धूमाच्छादित सी दिखाई देंगी और आकाश आकाशीय धूलि से धूसरित होगा !

 4. रोग – 13 सितंबर से 22 सितंबर तकपूर्वोत्तर भारत झारखंड बिहार दिल्ली जम्मू कश्मीर आदि में सूखी खाँसी ,चक्कार आने एवं घबराहट जैसे रोगों से परेशानियाँ बढ़ेंगी !

 5. समाज– 13 सितंबर से 22 सितंबर के समय जम्मूकश्मीर तथा दिल्ली एवं दिल्ली के आस पास के शहरों का वातावरण बिषैला बनाया जाएगा कुछ लोगों के द्वारा उन्माद फैलाया जाएगा !जिससे सामाजिक संघर्ष एवं वैमनस्यता फैलेगी ! पाकसीमा से लगे जम्मू कश्मीर के क्षेत्र में जनभागीदारी से सुनिश्चित एवं सुनियोजित उन्माद फैलाया जाएगा जिससे इन्हीं दिनों में पत्थर बाजी जैसी घटनाएँ घटित हो सकती हैं ! इसीप्रकार से 13 सितंबर से 22 सितंबर तक के समय में असम एवं उसके आसपास के प्रदेशों देशों में भी आतंकवाद की घटनाएँ देखने को मिल सकती हैं विशेष कर कोकराझार जिला एवं उसके आस पास के जिला या नगर के लोगों में उन्माद भरा जाएगा जिससे वो अच्छे खासे शिक्षित एवं सामाजिक लोग भी वातावरण को बिषाक्त बनाने में सहभागिता निर्वाह करते देखे जाएँगे !ऊटपटाँग तर्क देते देखे जाएँगे !इसीकारण से सामाजिक दंगे भड़क सकते हैं और पूर्वोत्तर का वातावरण बिगड़ सकता है !

सुरक्षा -जम्मूकश्मीर एवं असम के आस पास से विदेशी सीमा से ऐसे आतंकी लोग भेजे जा सकते हैं जिनसे जनधन के हानि की भारी संभावना देखी जा सकती हैं !!
  तनाव – 13 सितंबर से लेकर 17 सितंबर तक का समय तनाव बढ़ने का है इस समय में सभी प्रकार के सभी लोगों को तनाव होगा !सारा संसार इस समय में तनावग्रस्त रहेगा जो व्यस्त हैं सभी साधनों से संपन्न हैं तनाव उन्हें भी होगा किंतु इसका अनुभव उन्हें अधिक नहीं होने पाता है जो पहले से ही अभावग्रस्त या समस्याग्रस्त होते हैं या पीछे से ही कोई तनाव चला आ रहा होता है उन्हें ऐसे समय में तनाव का एहसास विशेष अधिक होगा !ऐसे समय में ही सामाजिक तनाव उन्माद आदि फैलने की संभावना रहती है !

                                                                                            निवेदक –
                                                                                  डॉ.शेष नारायण वाजपेयी

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